
संगबाद भास्कर न्यूज़ डेस्क : कुछ दिन पहले, गाजियाबाद के एक हिंदू मंदिर में एक युवा मुस्लिम व्यक्ति पानी पीने के लिए घुस गया। जिसे लेकर पूरे देश में भारी हंगामा हुआ था। उस मंदिर के पुजारी के आदेश पर उसे बुरी तरह पीटा गया।
गैर-हिंदुओं को देहरादून के सभी मंदिरों में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाने वाले मंदिर पर एक नोटिस लगाया गया था। हिंदू युवा सेना के राज्य सचिव जीतू रंधावा ने कहा, “मंदिर पारंपरिक धर्मों को मानने वाले लोगों के लिए पूजा का स्थान है। इसलिए, पारंपरिक धर्मों के लोगों को ही मंदिर में प्रवेश करने का अधिकार होना चाहिए।ऐसा पोस्टर दशना के हिंदू मंदिर में पढ़ा गया है। जिसके बारे में बसपा विधायक धौलाना असलम चौधरी ने कहा कि वे तुरंत डासना मंदिर से पोस्टर हटा देंगे।ध्यान दें कि इस उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है।
विभिन्न देशों और धर्मों के कई लोग भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। कई फिर से पूजा करते हैं। लेकिन अगर गैर-हिंदुओं को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है, तो वे कहां जाएंगे? अब सवाल यह है कि क्या ईश्वर केवल एक ही नहीं है? क्या जाति की परवाह किए बिना न्याय किया जाएगा?